Aarti

महाराजा अग्रसेन जी की आरती

श्री श्री १००८ श्री अग्रसेन महाराजा जी की आरती।

आरती श्री महाराजा जी की पूर्व पितामाह आजा जी की ॥

हम सब वंशज नाथ तुम्हारे, गावत गुण निश वासर सारे, चूक परे सो आप सम्भारे, पूरन हो अभिलाषा जी की आरती श्री महाराजा जी की ॥

पुत्र आठारह तुम उपजाये, साढ़े सत्रह गोत्र कहाए, गर्ग आदि क्रमशः गिनवाए, ऐसे पूर्ण प्रताप जी की आरती श्री महाराजा जी की ॥

अग्रोहा जाकी राजधानी होवे, छत्र मुकुट सिर चांवर सोवे लख प्रताप सब नरपति मोहे, सब राजन सिर ताजा जी की आरती श्री महाराजा जी की ॥

तुम लक्ष्मी जी की जप तप कीन्हा, हो प्रसन्न लक्ष्मी वर दीन्हा, लक्ष्मी पुत्र सुत रहे अधीना, वैश्य वंश मर्यादा जी की आरती श्री महाराजा जी की ॥

हम सब चरणन सिर नावे, अग्रवाल सब लक्ष्मीपुत्र कहावे, यह आरती निज मुख सो गावे, अग्रसेन प्रभु दादा जी की आरती श्री महाराजा जी की ॥

श्री श्री १००८ श्री अग्रसेन भगवान की जय